गोण्डा। जात-पांत तोड़क मण्डल के संस्थापक संतराम बीए साहेब उच्च कोटि के लेखक व साहित्यकार के साथ साथ सामाजिक न्याय,अधिकार के लिए संघर्षशील महान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने समाज को जागरूक करने के लिए सैकड़ों ग्रंथो की रचना करते हुए अनुशासन,समय व शब्दों की मर्यादा को सदैव संजोए रखा। भारतीय साहित्यकारों में उनका स्थान सदैव अनुकरणीय और प्रेरणादायक साहित्यकार के रूप में जाना पहचाना जाता है। सूर्यकांत त्रिपाठी निराला, किशोरीदास बाजपेयी,महामेधावी त्यागीश्वर शंकर जैसे महान साहित्यकारों ने उनके लेखन की मुक्त कंठ से तारीफ की।”उक्त विचार संतराम बीए के 35वें स्मृति दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में दीनानाथ यादव निवासी बड़गांव के आवास पर ए.के.नन्द ने व्यक्त किया। राम कुमार गौतम ने कहा कि वे स्वस्थ और सीलवान भारत का निर्माण करना चाहते थे। विवेक शुक्ल ने कहा कि संतराम बीए एक आदर्श लेखक,साहित्यकार और सामाजिक सचेतक थे। गुंजन मिश्र ने कहा कि स्वस्थ और निरोगी समाज बनाना उनके जीवन का लक्ष्य था। आरती वर्मा ने कहा कि महामना संतराम बीए साहेब डाॅ.अम्बेडकर के विचारों से पूर्णतः सहमत थे। नीरज कुमार नन्द ने कहा कि संतराम साहेब न्यायप्रिय शिक्षक की भांति समाज के निर्माता थे। आशू कनौजिया ने कहा कि उनका व्यक्तित्व और कृतित्व सदैव प्रासंगिक रहेगा। कार्यक्रम में रक्षाराम कुरील,गौरव मिश्र,राम करन गौतम, किशन,रामपाल, अर्जुन सिंह, राम नारायण, कृपाराम पासवान, गुरचरन, हरिप्रसाद रजक,सियाराम सरोज, बाबूलाल यादव,राजकुमार सिंह, सीतापती,नीलम,माधुरी,कंचन देवी आदि ने सहभाग किया।